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गम की रात

गम की रात


गम की रात किसने जानी, 
दुख में डूबी लड़की,
एक दिन हुई थी दीवानी। 

देखती थी जब वह उसे, 
तो दिल के कमल खिल जाते थे, 
आँखों में उसे देख कर, 
सितारे से चमक जाते थे। 
दिल की धड़कनें हो जाती थीं,

उफन कर समुद्र के ज्वार सी,
उन्हें समेटते हुए वह,
भीग, भीग कर घुल जाती थी,
मीठे बताशे की डली सी, 
खो जाती थी ख्यालों के भंवर में,
वह खुद होती थी,
और उसका प्यार होता था, 
उसी का मुख देख कर दिन होता था, 

उसी के साथ रात होती थी। 
कहीं डूब जाती थी , 
भावनाओं में बहकर। 
कोई गम की रात न होती थी, 
एक मीठी सी सिहरन थी,
दिल की धड़कन थी, 
नजरों की छुअन थी, 
और थे मीठे से एहसास,  

फिर एक दिन वह चला गया, 
कोई भी बहाना बनाने की देर थी,
बहाने थे उसके पास हजार, 
तलाक तलाक तलाक,
कहने की देर थी,   
दरअसल भा गया था,
usko 

उसने तो खुद के दिल से,
लड़की को कर दिया दूर,
लड़की आज तलक,
 गमों की रात में बैठी है मजबूर। 

धन्यवाद दोस्तो,
आपकी अपनी काव्य रचनाकर -
शोभा शर्मा 
  

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3 Comments

खूबसूरत भाव और अभिव्यक्ति

Reply

Varsha_Upadhyay

23-Jul-2023 10:54 PM

बहुत खूब

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RISHITA

23-Jul-2023 12:15 PM

Nice

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